देहरादून, रविवार। उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों को एक बार फिर गहरा झटका लगा है। सख्त नकल विरोधी कानून लागू होने और सरकार की ओर से तमाम दावों के बावजूद स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया। इस खुलासे ने न केवल परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं बल्कि बेरोजगारों के गुस्से को भी हवा दे दी है।
रविवार को आयोजित इस परीक्षा का पेपर करीब 11:30 बजे बाहर आने की जानकारी सामने आई। बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल का दावा है कि परीक्षा के दौरान ही उनके पास पेपर पहुंच गया था। परीक्षा समाप्त होने के बाद संघ ने पेपर का मिलान किया तो पाया कि पूरा सेट पहले ही बाहर पहुंच चुका था। इस दावे ने सिस्टम की कार्यप्रणाली और सुरक्षा इंतजामों की पोल खोल दी है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पूर्व में हुए पेपर लीक कांडों से सबक लेते हुए कड़े कदम उठाने का भरोसा दिलाया था। नकल विरोधी कानून बनाया गया, नकल माफिया पर सख्त कार्रवाई की घोषणाएं हुईं, पुलिस और एसटीएफ को अलर्ट रखा गया। बावजूद इसके, फिर से भर्ती परीक्षा में पेपर लीक होना इस बात का प्रमाण है कि माफिया अब भी सक्रिय हैं और परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसियों पर उनका दबदबा कायम है।
बेरोजगार संघ का कहना है कि जब सरकार और आयोग पारदर्शी परीक्षा कराने में असफल हैं तो बेरोजगारों के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ हो रहा है। संघ ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों पर तत्काल कठोर कार्रवाई हो। साथ ही, जिन अभ्यर्थियों ने ईमानदारी से परीक्षा दी है उनके साथ न्याय सुनिश्चित किया जाए।
पेपर लीक की यह घटना केवल एक परीक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे तंत्र की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। बार-बार पेपर लीक होने से युवाओं का सरकारी नौकरी की चयन प्रक्रिया से भरोसा उठने लगा है। सवाल यह भी है कि जब तमाम तकनीकी और कानूनी सुरक्षा उपाय मौजूद हैं तो आखिर पेपर बाहर कैसे पहुंच रहा है।
अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या सचमुच दोषियों तक पहुंचने की हिम्मत दिखाती है ।। लेकिन इतना तय है कि इस लीक ने भर्ती प्रक्रिया पर एक बार फिर से गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
