देहरादून, के प्रतिष्ठित इडिफाई वर्ल्ड स्कूल में कार्यरत रही शिक्षिका कनिका मदान को आखिरकार महीनों की जद्दोजहद के बाद न्याय मिल गया। दो माह से लंबित वेतन, सुरक्षा राशि और अनुभव प्रमाण पत्र रोकने के आरोप में स्कूल प्रशासन के खिलाफ शिक्षिका ने जिलाधिकारी सविन बंसल से गुहार लगाई थी। डीएम के हस्तक्षेप के बाद स्कूल प्रबंधन को न सिर्फ घुटने टेकने पड़े, बल्कि शिक्षिका का रुका हुआ वेतन और प्रमाण पत्र भी जारी करना पड़ा।
जानकारी के अनुसार, कनिका मदान मोथोरोवाला स्थित इडिफाई वर्ल्ड स्कूल में पढ़ाने का कार्य कर रही थीं। स्कूल प्रबंधन ने मार्च और जुलाई माह का वेतन तथा ₹78,966 की सुरक्षा राशि रोक रखी थी। इसके अलावा, शिक्षिका द्वारा इस्तीफा देने के बाद उन्हें अनुभव प्रमाण पत्र भी नहीं दिया गया था। परेशान होकर कनिका ने 13 अक्टूबर को जिलाधिकारी के जनता दर्शन में अपनी शिकायत दर्ज कराई। डीएम सविन बंसल ने तत्काल मुख्य शिक्षा अधिकारी को जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी के सख्त रुख के बाद स्कूल प्रबंधन ने रातोंरात शिक्षिका की लंबित राशि का चेक जारी किया और सही विवरण सहित नया अनुभव प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया। डीएम ने स्वयं शिक्षिका को प्रमाण पत्र सौंपते हुए मामले का निस्तारण किया।
शिक्षिका कनिका अपनी नन्ही बेटियों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंची और जिलाधिकारी सविन बंसल का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन के हस्तक्षेप से उन्हें वह न्याय मिला, जिसकी उम्मीद उन्होंने खो दी थी।
जिलाधिकारी सविन बंसल लगातार ऐसे प्रकरणों में त्वरित और कड़े निर्णय लेकर जनता के बीच विश्वास कायम कर रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे जनसरोकारों से जुड़े मामलों में उनकी सक्रियता के चलते आमजन में प्रशासन के प्रति भरोसा बढ़ा है। जिला प्रशासन की इस कार्यशैली ने न केवल पीड़ितों में आशा जगाई है, बल्कि शोषण करने वालों में भय का माहौल भी पैदा किया है।
कनिका मदान का यह मामला इस बात का ताजा उदाहरण है कि यदि प्रशासन संवेदनशीलता के साथ तत्परता दिखाए तो आम नागरिकों को न्याय मिलना संभव है।


