देहरादून – उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग में बीते कुछ समय से गोपनीयता भंग के लगातार मामले सामने आ रहे हैं। विभागीय स्तर पर बेहद संवेदनशील जानकारियां बाहर जाने की शिकायतों के बाद अब सिस्टम अलर्ट मोड में आ गया है। सूत्रों के अनुसार, जिन कर्मचारियों पर शक की सुई घूम रही है, उनकी कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) तक निकलवाने की तैयारी की जा रही है। सिस्टम का सीधा संदेश है कि सिस्टम से समझौता करने वाले किसी भी कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, हाल के महीनों में चिकित्सा शिक्षा विभाग से जुड़ी कई अहम बैठकों और निर्णयों की जानकारी विभाग से बाहर जाने की शिकायतें सामने आई हैं। ये जानकारी न केवल मीडिया तक पहुंची बल्कि कई बार संबंधित पक्षों तक भी पहले से लीक हो गई। इससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह गोपनीयता भंग करना सिर्फ प्रशासनिक अनुशासन का उल्लंघन नहीं बल्कि सरकारी सिस्टम पर कुठाराघात है।
सूत्र बताते हैं कि मामले की गंभीरता को देखते हुए अब संदिग्ध कर्मचारियों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। विभाग ने सख्त लहजे में कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो सीडीआर (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) से लेकर डिजिटल गतिविधियों की जांच भी कराई जाएगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि संवेदनशील सूचनाएं किस चैनल से बाहर पहुंच रही हैं।
जिम्मेदारों पर होगी बड़ी कार्रवाई
चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि “गोपनीय जानकारियों का लीक होना सिस्टम के लिए बेहद चिंता का विषय है। यह सीधे-सीधे सरकारी सेवा नियमों का उल्लंघन है। ऐसे मामलों में न केवल निलंबन बल्कि बर्खास्तगी तक की कार्रवाई हो सकती है।”
उन्होंने साफ किया कि विभाग ने पहले ही सभी कर्मचारियों को गोपनीयता बनाए रखने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। इसके बावजूद अगर कोई कर्मचारी इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल पाया जाता है तो उसके खिलाफ कठोरतम अनुशासनात्मक कदम उठाए जाएंगे।
सरकार की सख्त नीति
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार पहले से ही नकल और गोपनीयता से जुड़ी घटनाओं पर सख्त रवैया अपनाए हुए है। हाल के दिनों में विभिन्न विभागों में गोपनीय जानकारी के लीक होने पर लगातार कार्रवाई होती रही है। धामी सरकार ने स्पष्ट किया है कि सरकारी व्यवस्था को कमजोर करने या उसमें सेंध लगाने की कोशिश करने वालों को किसी भी स्तर पर संरक्षण नहीं मिलेगा।
सूत्रों के अनुसार, इस बार चिकित्सा शिक्षा विभाग में चल रही जांच सीधे उच्च स्तर से मॉनिटर की जा रही है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग का यह कदम न केवल आंतरिक अनुशासन बनाए रखने के लिए जरूरी है बल्कि सरकारी सिस्टम की साख और भरोसे को कायम रखने के लिए भी अहम माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि सीडीआर और अन्य जांचों के आधार पर किन कर्मचारियों पर गाज गिरती है और सिस्टम इस दिशा में कितनी सख्ती दिखाती है। लेकिन इतना तय है कि अब गोपनीयता से खिलवाड़ करने वाले कर्मचारियों के दिन गिनती के रह गए हैं।


