एक अधिकारी दो जिम्मेदारी पड़ रही दोनो विभाग पर भारी….

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देहरादून, उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग की कमान और राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून की कमान एक ही अधिकारी के ही हाथो में है जिससे सरकारी योजनाओं पर विपरीत असर पढ़ता हुआ दिखाई दे रहे हैं। राज्य के भावी डॉक्टर को बेहतर भविष्य देने का काम करने वाले चिकित्सा शिक्षा विभाग के निदेशक और दून के प्राचार्य एक होने के चलते व्यवस्थाएं आगे दौड़ पीछे छोड़ की होती चली जा रही है, जहां सरकार योजनाओं को पूरा करने के लिए चिकित्सा शिक्षा निदेशालय पर निर्भर है तो वहीं राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून में भी तमाम व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना एक बड़ी चुनौती है।। इन दिनों अवस्थाओं से जूझ रहे दून पर मानो बड़े अधिकारियों ने ध्यान देना ही छोड़ दिया है जिसके चलते व्यवस्थाएं चौपट होती चली जा रही है।। एक तरफ सरकार व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने का दावा कर रही है तो वहीं एक ही अधिकारी को दो-दो जगह पर जिम्मेदारी दिए जाने से व्यवस्थाएं चौपट होती चली जा रही है। पिछले दिनों दून में सीएमओ के द्वारा निरीक्षण किया गया जिसमें फायर की एनओसी ही नहीं मिली, वहीं पीजी की सीटों को लेकर चल रहे उठा पटक में भी संस्थान का नाम खराब हो रहा है। इसके अलावा आलाधिकारियों का ध्यान उन व्यवस्थाओं पर भी नहीं है जो कर्मचारी के द्वारा संस्थान की छवि खराब करके किया जा रहा हैं कर्मचारी परिवार के लोगो के नाम से फर्म बनाकर सरकारी पैसे की बंदर बांट में जुटे हुए हैं, जिससे साफ पता चलता है कि एक अधिकारी को दो जगह की जिम्मेदारी देना कितना भारी पड़ रहा है।। निदेशक चिकित्सा शिक्षा एक महत्वपूर्ण पद है जहां पर पहले आईएएस अधिकारी तक बैठा करते थे लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति के चलते इसको हटाकर फिर से पुरानी व्यवस्था अपनाई गई जिसका असर सरकारी योजनाओं पर पड़ रहा है।