अब इसरो बताएगा उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में किन कारणों से होता है जलभराव, पढ़िए पूरी खबर

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देहरादून। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आइआइआरएस) उन कारणों को स्पष्ट करेगा, जिनसे दून में जलभराव की स्थिति विकट हो जाती है। आइआइआरएस इसके लिए ड्रोन से रिस्पना और बिंदाल नदी क्षेत्रों की उच्च क्षमता की तस्वीरें लेगा। यह जानकारी रिमोट सेंसिंग के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. अरिजीत रॉय ने उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की बैठक में दी।

बुधवार को आयोजित बैठक में डॉ. रॉय ने कहा कि ड्रोन अध्ययन से यह स्पष्ट किया जाएगा कि रिस्पना नदी के किनारे कितने ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पानी आसानी से घुस सकता है और उसकी स्वतरू निकासी संभव नहीं। इसके अलावा ऐसे स्थानों को भी चिह्नित किया जाएगा, जो पानी की सहज निकासी में बाधक बन रहे हैं। यह अध्ययन एक वर्ष के भीतर पूरा किया जाना है। अध्ययन शुरू करने से पहले आइआइआरएस व यूएसडीएमए के मध्य एक एमओयू हस्ताक्षरित किया जाएगा।?

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वहीं, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिदिम अग्रवाल ने कहा कि ड्रोन सर्वे के लिए कुछ स्थान चिह्नित किए गए हैं। जल्द ही इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। यह सब इसलिए किया जा रहा है कि जलभराव के कारणों का समाधान किया जा सके। इसके अलावा आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राधिकरण के पास पहले से योजना भी तैयार रहेगी। बैठक में यूएसडीएमए के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. गिरीश जोशी, सिस्टम एनालिस्ट अमित शर्मा, ज्योति नेगी, शैलेष घिल्डियाल आदि उपस्थित रहे।

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यूएसडीएमए की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिदिम अग्रवाल ने बताया कि मौसम संबंधी पूर्व चेतावनी के लिए प्रदेश में 108 ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन कार्यरत हैं। इसके साथ ही 28 रेन गेज, 16 स्नो गेज, 25 सरफेस फील्ड ऑब्जर्वेटरी स्थापित की गई हैं।