अब हरियाणा के सरकारी स्कूलों में भी अनिवार्य हुई गीता शिक्षा, मुख्यमंत्री सैनी बोले – श्रीकृष्ण के उपदेश बच्चों को देंगे जीवन मूल्यों की सीख…

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देहरादून। उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों में श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों को अनिवार्य किए जाने के बाद अब हरियाणा सरकार ने भी स्कूल शिक्षा में गीता के पाठ को शामिल करने का बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा की है कि राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा आठवीं तक के छात्रों को गीता के श्लोक पढ़ाए जाएंगे। यह फैसला एक अध्याय के रूप में गीता के मूल संदेश को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है।

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मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविंद से निकले गीता के उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि कर्म, ज्ञान, आत्मबल और नैतिक मूल्यों का भंडार है। “कुरुक्षेत्र की भूमि पर अर्जुन को दिया गया श्रीकृष्ण का संदेश आज भी दुनिया के बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों, विचारकों और अर्थशास्त्रियों को प्रेरणा देता है। हमें गर्व है कि अब हमारे बच्चे भी उस महान ग्रंथ की शिक्षाओं से जीवन निर्माण की प्रेरणा ले सकेंगे,” मुख्यमंत्री ने कहा।

इससे पहले उत्तराखंड में सरकार ने राज्य के 17,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों को अनिवार्य किया था। वहां सुबह की प्रार्थना सभा में बच्चों को नियमित रूप से श्लोकों का उच्चारण और अर्थ समझाया जा रहा है। अब हरियाणा ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए गीता को स्कूली शिक्षा का हिस्सा बना दिया है।

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शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, गीता से संबंधित पाठ्य सामग्री को विद्यार्थियों की उम्र और समझ के अनुसार सरल भाषा में प्रस्तुत किया जाएगा। इसका उद्देश्य बच्चों को भारतीय संस्कृति, धर्म और नैतिक मूल्यों से परिचित कराना है।

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हालांकि इस निर्णय को लेकर कुछ शिक्षाविदों और वर्गों में बहस भी चल रही है, लेकिन सरकार का मानना है कि यह कदम छात्रों को मानसिक मजबूती, निर्णय लेने की क्षमता और आचरण में संतुलन प्रदान करेगा।

हरियाणा सरकार का यह निर्णय न केवल शिक्षा में सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने की दिशा में है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भारतीय दर्शन और परंपराओं से जोड़ने का प्रयास भी माना जा रहा है।