देहरादून: उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) के ठेकेदारों और निर्माण एजेंसियों के खिलाफ पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए आधा दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज किए हैं। इन मामलों में पर्यटन विभाग, आईटीआई, दून मेडिकल कॉलेज समेत कई अन्य सरकारी परियोजनाओं में वित्तीय अनियमितताओं, निर्माण कार्यों में गड़बड़ी और सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप है।
2012 से 2018 के बीच हुए थे घोटाले
सूत्रों के अनुसार, 2012 से 2018 के बीच सरकारी निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था। जांच में सामने आया कि इन वर्षों में विभिन्न परियोजनाओं के निर्माण कार्यों में ठेकेदारों और अधिकारियों ने मिलीभगत कर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया। इनमें घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग, भुगतान में हेराफेरी और ठेकेदारों की लापरवाही जैसे मामले शामिल हैं।
इन घोटालों की जांच के दौरान पाया गया कि सरकारी धन का दुरुपयोग कर निम्न गुणवत्ता की निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया, जिससे कई परियोजनाओं में गंभीर खामियां देखी गईं। कुछ स्थानों पर अधूरे निर्माण कार्य छोड़ दिए गए, जिससे सरकारी खजाने पर भारी असर पड़ा।
नेहरू कॉलोनी थाना पुलिस ने दर्ज किए मुकदमे
नेहरू कॉलोनी थाना प्रभारी संजीत कुमार ने पुष्टि की कि इन मामलों में संबंधित ठेकेदारों और निर्माण एजेंसियों के खिलाफ विस्तृत जांच की जा रही है। पुलिस विभाग इस बात की भी पड़ताल कर रहा है कि इन घोटालों में सरकारी अधिकारियों की क्या भूमिका थी।
थाना प्रभारी के अनुसार, यदि जांच में किसी और व्यक्ति की संलिप्तता पाई जाती है, तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने फिलहाल कई संदिग्ध दस्तावेजों को कब्जे में ले लिया है और विभिन्न ठेकेदारों तथा अधिकारियों से पूछताछ जारी है।
आगे की कार्रवाई पर नजर
प्रशासन और पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं ताकि दोषियों को कानून के दायरे में लाया जा सके। प्राथमिक जांच में ही यह स्पष्ट हो चुका है कि सरकारी धन के गलत इस्तेमाल से सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा है।
इस पूरे मामले पर आम जनता की भी नजर बनी हुई है। स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और भविष्य में इस तरह के घोटालों पर रोक लगाई जाएगी। पुलिस का कहना है कि जल्द ही इस मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं और जो भी इसमें संलिप्त पाया जाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
सरकारी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के इस मामले ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। अब देखना यह होगा कि पुलिस और प्रशासन कितनी जल्दी दोषियों को कानून के शिकंजे में लाते हैं और इस घोटाले में लिप्त लोगों पर क्या कार्रवाई होती है।
