क्या राजपुर रोड का विवादित बार संचालक है सत्ता से भी ज्यादा ताकतवर ? तो फिर दबाव में आकर क्यों बंद कराए गए बीते रोज अन्य बार… एक अधिकारी का नाम भी चर्चाओं में….

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देहरादून — एक ओर सरकार उत्तराखंड को पर्यटन और निवेश की दृष्टि से देश-दुनिया के नक्शे पर मजबूत करना चाह रही है, वहीं राजधानी देहरादून के राजपुर रोड पर एक बार संचालक ने पूरे सिस्टम को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। यह मामला सिर्फ एक बार के संचालन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह प्रशासन और सत्ता के गठजोड़ का प्रतीक बनता जा रहा है।

मामला उस समय तूल पकड़ गया जब राजपुर क्षेत्र में स्थित एक विवादित बार के संचालक के दबाव में आकर प्रशासन ने आसपास के सभी बार और रेस्टोरेन्ट को बंद करा दिया। सूत्रों के अनुसार, यह वही बार है जिसका वीडियो कुछ माह पूर्व वायरल हुआ था, जिसमें खुलेआम मारपीट और अश्लीलता का प्रदर्शन हुआ था। इसके बावजूद न तो बार पर कोई स्थायी कार्रवाई हुई और न ही संचालक के खिलाफ कोई कठोर कदम उठाया गया।

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जानकारी के मुताबिक, इस बार संचालक के रसूख का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भी प्रशासन द्वारा उस पर कार्रवाई की जाती है, तो वह पूरे इलाके में अन्य बार और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को बंद करवाने की रणनीति बना लेता है। यह स्थिति दर्शाती है कि अकेला एक बार संचालक इतनी बड़ी साजिश का मास्टरमाइंड नहीं हो सकता। इसके पीछे एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम सामने आ रहा है जो लंबे समय से इस संचालक की ढाल बना हुआ है।

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि उक्त अधिकारी जिला स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाकर संचालक के पक्ष में फैसले करवाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ और ‘पर्यटन को बढ़ावा’ जैसी योजनाएं महज कागजों तक ही सीमित हैं?

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एक तरफ सरकार स्वयं राज्य में विदेशी निवेशकों को आमंत्रित कर रहे हैं, स्मार्ट सिटी परियोजनाएं लागू की जा रही हैं और उत्तराखंड को उद्यमशीलता का केंद्र बनाने का प्रयास किया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर कुछ अधिकारियों के निजी हित इन योजनाओं को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। यह दोहरी व्यवस्था आम जनता और कानून के सामने एक विडंबनात्मक स्थिति उत्पन्न करती है, जहां ‘आम’ और ‘खास’ के बीच स्पष्ट भेदभाव दिखाई देता है।

स्थानीय लोगों और अन्य बार मालिकों का कहना है कि प्रशासन का यह पक्षपाती रवैया न केवल व्यवसायियों का मनोबल गिराता है, बल्कि कानून पर से भरोसा भी कमजोर करता है। उन्होंने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और जिन अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर निजी संबंधों को प्राथमिकता दी है, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

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राजपुर रोड पर बार और रेस्टोरेंट बंद होने के कारण व्यापारिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ा है। पर्यटक भी असमंजस की स्थिति में हैं। यदि समय रहते सरकार ने ऐसे अधिकारियों की पहचान कर उन्हें उनके पद से हटाया नहीं, तो आने वाले समय में यह स्थिति पूरे राज्य की साख पर असर डाल सकती है।

सरकार को चाहिए कि वह पारदर्शिता को प्राथमिकता दे और ऐसे मामलों में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करे, जिससे जनता का भरोसा कायम रह सके और उत्तराखंड विकास की ओर अग्रसर हो सके, न कि रसूख और सिफारिश के बोझ तले दब जाए।