रेमेडिसिविर इंजेक्शन को लेकर अभी भी हालात जस के तस ही बने हुए है। अधिकारियों की भारी-भरकम फौज भले ही इंजेक्शन को निजी अस्पतालों को खुद ही सौंप रही हैं लेकिन उसके बावजूद भी निजी अस्पताल यह इंजेक्शन बाजार से ही लोगों से मंगवा रहे हैं जिसके चलते अभी भी बाजारों में इसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है ।।आलम यह कि जिन दुकानों को इंजेक्शन दिए भी जा रहे हैं वो भी ऊंट के मुंह में जीरा बराबर साबित हो रहे हैं हर व्यक्ति मेडिकल स्टोर की तरफ इन इंजेक्शन को लेने के लिए भाग रहा है लेकिन मेडिकल स्टोर पर महज 50 से 60 इंजेक्शन दिए जा रहे हैं जिससे उनकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है। मरीज अभी भी मेडिकल स्टोर्स के चक्कर काटने को मजबूर है लेकिन अधिकारियों के द्वारा लगातार यह इंजेक्शन निजी अस्पतालों को दिए जा रहे है। अधिकारियों को इस मामले पर ठोस योजना बनाने की जरूरत है जिससे कि अस्पताल से ही मरीजों को इंजेक्शन उपलब्ध हो सके। दरअसल अस्पतालों को पर्याप्त मात्रा इंजेक्शन उपलब्ध कराए जाने के बाद भी वो मरीजो के तीमारदारों से बाहर से इंजेक्शन मंगवा रहे है जिससे हालात अभी भी जस का तस ही बने है।