देहरादून: उत्तराखंड में डॉक्टरों की कमी लगातार चिंता का विषय बनी हुई है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में चयनित होने के बावजूद कई डॉक्टर अपनी ड्यूटी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं, जिससे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। इसे देखते हुए शासन ने 122 डॉक्टरों को चिन्हित कर उनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया है।
स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि 46 डॉक्टर ऐसे भी हैं, जिन्होंने सरकारी खर्चे पर मेडिकल की पढ़ाई पूरी की, लेकिन अब तक लापता हैं। इन्हें बॉन्ड की शर्तों के अनुसार अनिवार्य सेवा देनी थी, लेकिन वे अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। शासन ने ऐसे डॉक्टरों को जल्द से जल्द अपनी सेवा ज्वाइन करने का निर्देश दिया है, अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश में डॉक्टरों की भारी कमी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। सरकार डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है, लेकिन नियुक्त डॉक्टरों का ड्यूटी पर न आना स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। स्वास्थ्य महानिदेशक सुनीता टम्टा ने स्पष्ट कर दिया है कि जो डॉक्टर बॉन्ड की शर्तें पूरी नहीं करेंगे, उनसे सरकारी खर्च की भरपाई कराई जाएगी और आवश्यकतानुसार कानूनी कदम भी उठाए जाएंगे।
