देहरादून। 31 अगस्त को हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य पद से डॉ. अरुण जोशी के रिटायर होने के बाद से अब तक कॉलेज को नया प्राचार्य नहीं मिल पाया है। 65 वर्ष की आयु पूरी कर चुके डॉ. जोशी ने औपचारिक रूप से अपना कार्यकाल पूरा कर लिया, लेकिन उनकी जगह पर अब तक विभाग की ओर से किसी नए अधिकारी की तैनाती नहीं की गई। इससे कॉलेज की प्रशासनिक और शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं।
मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य का पद खाली होने के कारण कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक, आर्थिक और नीतिगत फैसले अटके हुए हैं। कॉलेज के शिक्षण स्टाफ और विद्यार्थियों का कहना है कि शीर्ष स्तर पर निर्णय न हो पाने से न केवल दैनिक कार्यों पर असर पड़ा है, बल्कि मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि अस्पताल और कॉलेज की व्यवस्था फिलहाल “राम भरोसे” ही चल रही है।
सूत्रों के अनुसार, विभाग इस समय असमंजस की स्थिति में है। स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ऐसी चर्चाएं तेज हैं कि विभाग डॉ. अरुण जोशी को ही दोबारा कॉलेज की कमान सौंप सकता है। रिटायरमेंट के बाद दोबारा जिम्मेदारी सौंपने पर प्रशासनिक स्तर पर सवाल खड़े हो रहे हैं, लेकिन कॉलेज में स्थिरता लाने के लिए इसे विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज कुमाऊं क्षेत्र का सबसे बड़ा चिकित्सा संस्थान है, जहां हजारों मरीज रोजाना इलाज के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में प्राचार्य पद खाली रहने से पूरे सिस्टम पर सीधा असर पड़ना स्वाभाविक है। चिकित्सा शिक्षा विभाग पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों समय रहते प्राचार्य की तैनाती नहीं की गई।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि विभाग स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति करता है या फिर डॉ. जोशी को ही दोबारा जिम्मेदारी सौंपी जाती है। फिलहाल, कॉलेज प्रशासन और विद्यार्थी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जल्द ही इस अनिश्चितता की स्थिति खत्म होगी और संस्थान को नया नेतृत्व मिलेगा।
