आबकारी विभाग ने तय किया राजस्व लक्ष्य, अप्रैल माह में सभी शराब दुकानों का आवंटन तय…

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देहरादून, राज्य में आबकारी विभाग अब राजस्व लक्ष्य को लेकर और अधिक गंभीरता से कदम उठा रहा है। पहले जहां शराब दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया महीनों तक लंबित रहती थी, वहीं अब समयबद्धता के साथ कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2025-26 के लिए आबकारी नीति के तहत राज्य में लगभग शत-प्रतिशत दुकानों का आवंटन कर दिया गया है। कुछ एक ही जनपद में बची हुई दुकानों को लेकर अंतिम चरण की प्रक्रिया समाप्ति की ओर है।
पूर्व में शराब दुकानों के आवंटन में तीन से चार महीने का समय लग जाता था, और कई कई दुकाने तो पूरे साल भी नहीं खुल पति थी जिससे सरकारी खजाने पर भी विपरीत असर पड़ता था। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कुशल रणनीति और सख्त निगरानी के चलते इस बार विभाग ने समय पर टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, अप्रैल माह में सभी शेष दुकानों का आवंटन कर दिया जाएगा, जिससे वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही राजस्व संग्रहण में बढ़ोतरी हो सके।

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आबकारी आयुक्त ने भी इस दिशा में तेजी लाने के निर्देश जिलों को दे दिए हैं। जनपदों के जिला आबकारी अधिकारियों को लक्ष्य दिया गया है कि वे शेष बचे आवंटन कार्यों को निर्धारित समयसीमा के भीतर पूर्ण करें। इससे राज्य सरकार को शराब बिक्री से होने वाली आय में इजाफा होगा, जो कि विकास कार्यों में सहायक सिद्ध होगी

सरकार द्वारा तय किए गए नए राजस्व लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए विभाग ने वर्ष की शुरुआत से ही सख्ती और पारदर्शिता के साथ नीति का अनुपालन शुरू किया है। न केवल समय पर दुकानों का आवंटन हुआ है, बल्कि फर्जीवाड़ा रोकने और अनुशासन कायम रखने के लिए तकनीकी निगरानी भी तेज की गई है।

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सीएम धामी की अगुवाई में आबकारी विभाग का यह सक्रिय रवैया अब राज्य के लिए राजस्व वृद्धि की दिशा में एक मिसाल बनता जा रहा है। राज्य सरकार का मानना है कि समयबद्ध नीति, पारदर्शिता और जवाबदेही के चलते ही राजस्व लक्ष्य को न सिर्फ हासिल किया जा सकता है, बल्कि उसमें वृद्धि भी संभव है।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आबकारी से मिलने वाले राजस्व में बड़ी वृद्धि का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसे प्राप्त करने के लिए यह सुव्यवस्थित आवंटन प्रक्रिया एक मजबूत आधारशिला साबित हो रही है।

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इस पूरी प्रक्रिया में जनपद स्तर पर अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई है और हर चरण की मॉनिटरिंग सीधे मुख्यालय से की जा रही है। सरकार और विभाग दोनों की मंशा साफ है – समय पर कार्य, अधिकतम राजस्व और शून्य भ्रष्टाचार।

इस बदलाव से न केवल विभागीय कार्यप्रणाली में सुधार आया है, बल्कि शराब व्यवसाय से जुड़े लोगों में भी भरोसा बढ़ा है कि नीतियां अब स्पष्ट और निष्पक्ष तरीके से लागू की जा रही हैं।

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