आबकारी आयुक्त चुस्त, जिला आबकारी अधिकारी सुस्त — ढालवाला शराब दुकान विवाद को सुलझाने का जिम्मा अब आलाधिकारियों के कंधों पर…..

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टिहरी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा राज्य में नशे के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए ऋषिकेश को “ड्राई ज़ोन” बनाने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद आबकारी विभाग ने अवैध शराब पर बड़ी कार्रवाई करते हुए जनपद में कई ठिकानों पर शिकंजा कसा और अवैध बिक्री को पूरी तरह बंद कर दिया था। लेकिन अब ऋषिकेश से सटे टिहरी जनपद के ढालवाला क्षेत्र में एक शराब दुकान को लेकर पिछले तीन दिनों से मचा बवाल पूरे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।

सूत्रों के अनुसार, ढालवाला की उक्त दुकान को लेकर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि टिहरी जिले के आबकारी अधिकारी हालात संभालने में नाकाम साबित हो रहे हैं। राजस्व व्यवस्था पर पड़ रहे असर को देखते हुए आबकारी आयुक्त अनुराधा पाल ने खुद मोर्चा संभालते हुए मुख्यालय में तैनात अधिकारियों की टीम को टिहरी भेजा है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके और सरकारी खजाने को किसी भी तरह की क्षति से बचाया जा सके।

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, संबंधित दुकान को प्रभावित करने के पीछे कुछ शराब तस्करों की भूमिका भी सामने आई है, जो चाहते हैं कि दुकान बंद रहे ताकि अवैध शराब का धंधा दोबारा फल-फूल सके। इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि टिहरी जनपद स्तर पर आबकारी अधिकारियों की निगरानी व्यवस्था कमजोर पड़ गई है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि ढालवाला प्रकरण ने विभागीय लापरवाही को उजागर कर दिया है। टिहरी के आबकारी अधिकारियों की सुस्ती के चलते न केवल व्यवस्था पर नियंत्रण कमजोर हुआ है, बल्कि इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का भी संभावित नुकसान झेलना पड़ सकता है। जबकि आबकारी आयुक्त स्तर पर लगातार पारदर्शिता और सख्ती की नीति पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन टिहरी जिला स्तर पर वह प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पा रही है।गौरतलब है कि राज्य सरकार ने आबकारी व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए यह सुनिश्चित किया था कि जिलास्तर पर अधिकारी और निरीक्षक दुकानों के संचालन, बिक्री और राजस्व की निगरानी नियमित रूप से करेंगे। लेकिन मौजूदा घटनाक्रम यह दर्शाता है कि यह व्यवस्था केवल कागजों तक सीमित रह गई है।विभागीय सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि इस पूरे मामले में बड़ी कार्रवाई की जा सकती है जिससे भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो । इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिए है कि क्या अनुभवहीनता और लापरवाही के चलते आबकारी विभाग सरकारी खजाने को यूं ही नुकसान पहुंचाता रहेगा, या अब सरकार इस पर कोई ठोस और निर्णायक कदम उठाएगी?