देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज में हाल ही में एक दिलचस्प घटना सामने आई, जिसमें एक डिग्रीधारी मुलाजिम महिला अधिकारी की टूट गई चप्पल उठाने के बाद भी अपनी मलाईदार पोस्टिंग पर नहीं टिक सका। यह मामला तब चर्चा में आया जब महिला अधिकारी मेडिकल कॉलेज में राउंड पर आईं और उनकी चप्पल टूट गई। इस पर उक्त मुलाजिम ने बिना समय गंवाए चप्पल हाथ में लेकर सीधा घंटाघर तक पहुंचकर चप्पल को सही किया, जिससे सोशल मीडिया और मेडिकल कॉलेज में इस घटना को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।
खबरों के अनुसार, इस घटना के बाद मुलाजिम को उसकी सेवा में कोई खास सम्मान या प्रमोशन नहीं मिला, बल्कि उसे अब उसकी मलाईदार पोस्टिंग से हटा दिया गया है। हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब दून मेडिकल कॉलेज में चापलूसी और जुगाड़ के बल पर अधिकारियों को मलाईदार पदों पर बैठने का मामला सामने आया हो। कई ऐसे मुलाजिम हैं, जो अपनी कार्यकुशलता से अधिक, अपने संपर्कों और चापलूसी के कारण महत्वपूर्ण पदों पर आसीन होते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने दून मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक ढांचे पर सवाल उठाए हैं। जहां कुछ कर्मचारियों का मानना है कि योग्य और मेहनती लोगों को पदों पर स्थान मिलना चाहिए, वहीं कुछ का कहना है कि प्रशासन को चापलूसी और जुगाड़ के बजाय कार्यकुशलता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ऐसे मामलों पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो यह न केवल संस्थान की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि कर्मचारियों के मनोबल को भी प्रभावित करेगा।