शहर की गलियों से लेकर अधिकारियों की चौखटों तक, इन दिनों एक नाम बड़े चाव से लिया जा रहा है – हरिराम नाई। अपनी खास शैली और गजब की “सूचना-संवेदनशीलता” के लिए चर्चित हरिराम अब सिर्फ बाल काटने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ‘उड़ती उड़ती खबरों’ का भी धुरंधर बन गया है।
बातचीत की कला में निपुण हरिराम नाई को जैसे ही कोई अधपकी या पूरी तरह मनगढ़ंत खबर हाथ लगती है, वह उसे इस अंदाज़ में पेश करता है कि सुनने वाले को वह सच्ची प्रतीत होने लगती है। कहा जाता है कि वह ऐसी अफवाहों को इस तरह फैलाता है मानो वे किसी सरकारी नोटिस से कम न हों। यही वजह है कि अब वह महज एक नाई नहीं, बल्कि अधिकारियों और रसूखदारों के लिए “सूत्रधार” बन गया है – भले ही उसके सूत्र केवल हवा में ही तैरते हों।
हरिराम का मुख्य उद्देश्य इन “खबरों” के जरिए बड़े काम निकालना होता है। अफसरशाही में किसी की बदनामी हो, किसी की सिफारिश चले या किसी स्थानांतरण पर चर्चा – हरिराम हर मुद्दे पर अपनी ‘जुगाली’ करता हुआ दिख जाता है। दिलचस्प बात यह है कि उसकी बातों में इस कदर आत्मविश्वास होता है कि सामने वाला दो बार सोचने पर मजबूर हो जाता है कि कहीं यह वाकई तो नहीं?
शहर के कुछ वरिष्ठ अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी अब उसे नाम लेकर पहचानने लगे हैं। हालांकि, कई बार उसकी खबरों की पोल भी खुल चुकी है, लेकिन तब तक हरिराम अगली ‘ब्रेकिंग न्यूज’ के साथ तैयार हो जाता है।
समाज के कुछ वर्गों में यह चिंता भी व्यक्त की जा रही है कि इस तरह की अफवाहबाज़ी से माहौल बिगड़ सकता है और हरिराम जैसे ‘गली सूत्रों’ को बढ़ावा देना प्रशासनिक व्यवस्था के लिए खतरा बन सकता है।
फिलहाल तो हरिराम नाई अपनी उड़ती हुई खबरों के सहारे चर्चाओं में बना हुआ है। अब देखना यह होगा कि उसका अगला ‘सूत्र’ किस नई गली या दफ्तर की दीवारों से टकराता है – और फिर वहां कैसी हलचल मचाता है।
