देहरादून। उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं को प्रभावित करने की कोशिशें लगातार चर्चा में हैं। लव जिहाद और लैंड जिहाद जैसे मुद्दों के बाद अब “नकल जिहाद” शब्द सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मौजूदा हालात पर कड़ा रुख अपनाते हुए साफ संदेश दिया है कि सरकार नकल माफिया को किसी भी सूरत में बख्शने वाली नहीं है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को कड़ी सजा दी जाएगी। उन्होंने दो टूक कहा कि सरकार “नकल जिहाद” को बर्दाश्त नहीं करेगी। एसएससी परीक्षा से जुड़े हालिया घटनाक्रम के बाद धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ ऐसी कार्रवाई की जाए, जो नजीर बने।
दरअसल, हाल ही में हुई एसएससी स्नातक स्तरीय परीक्षा में संदिग्ध गतिविधियां सामने आई थीं, जिसके बाद से पूरे राज्य में हड़कंप मच गया। पुलिस और एसटीएफ की जांच में कई गिरफ्तारियां हुईं, जिससे यह साफ हुआ कि नकल माफिया प्रदेश की पारदर्शी परीक्षा व्यवस्था को प्रभावित करने की कोशिश में हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले भी पेपर लीक और नकल से जुड़े मामलों में सख्त कदम उठाए हैं और आगे भी ऐसी ही नीति अपनाई जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि परीक्षा प्रणाली को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए तकनीकी उपायों को मजबूत किया जाए। साथ ही, दोषियों की संपत्ति तक जब्त करने की कार्रवाई की जा सकती है।
इस पूरे घटनाक्रम पर छात्रों और अभिभावकों की नजरें टिकी हुई हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि बार-बार नकल और पेपर लीक जैसी घटनाएं उनके भविष्य को अधर में डाल रही हैं। मुख्यमंत्री के बयान से युवाओं को उम्मीद बंधी है कि अब सरकार दोषियों को छोड़ने वाली नहीं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि मुख्यमंत्री का “नकल जिहाद” वाला बयान केवल राजनीतिक संदेश नहीं है, बल्कि यह युवाओं के बीच भरोसा बहाल करने का प्रयास भी है। यदि सरकार वास्तव में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करती है और परीक्षा प्रणाली को मजबूत करती है, तो इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
कुल मिलाकर, मुख्यमंत्री धामी का यह सख्त रुख बता रहा है कि अब नकल माफियाओं की खैर नहीं है। “नकल जिहाद” के खिलाफ सरकार की जंग युवाओं के भविष्य और प्रदेश की साख दोनों के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।
