देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार के दौरान में शराब का एक ब्रांड डेनिस को चर्चाओं में रहा था । जिसको लेकर सीसीआई ने मंडी परिषद पर एक करोड़ रुपये की जुर्माना लगाया है। आयोग ने माना कि डेनिस ब्रांड बिक्री बढ़ाने के लिए मंडी परिषद ने अन्य ब्रांड मांग के बाद भी फुटकर विक्रेताओं को नहीं दिए थे। हरीश रावत सरकार के समय में डेनिस ब्रांड की शराब खूब छाई रही। शराब व्यवसायियों को बाजार की मांग के अनुसार अन्य ब्रांड उपलब्ध ही नहीं कराए गए। उस समय शराब की थोक बिक्री का जिम्मा मंडी परिषद के पास था। उस समय खासी चर्चा रही कि देहरादून निवासी एक शराब निर्माता ही यह तय करता था कि मंडी परिषद कौन सी शराब खरीद पर बाजार में उपलब्ध कराएगी।2016 में इंटरनेशनन स्प्रिट्स एंड वाइन्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया मंडी परिषद की इस मनमानी के खिलाफ भारतीय प्रतिष्पध्धा आयोग में याचिका दाखिल की। इसमें जीएमवीएन और केएमवीएन को भी पार्टी बनाया गया था। आयोग ने लंबे समय तक इस मामले की सुनवाई की। याची की ओर से दाखिल दस्तावेजी सूबतों का भी अध्ययन किया गया।
30 मार्च को आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों ने एक मत से अपना फैसला सुनाया इसमें कहा गया कि मंडी परिषद ने मनमाने तरीके डेनिस ब्रांड ही बेचने के लिए फुटकर विक्रेताओं को मजबूर किया गया। लिहाजा मंडी परिषद पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया जाता है। सचिव आबकारी सचिन कुर्वे ने बताया कि पूरे प्रकरण में मंडी परिषद, कुमाऊँ मंडल विकास निगम और गढ़वाल मंडल विकास निगम को पार्टी बनाया गया है। विभागों को सीसीआई से भेजे गए आदेश प्राप्त हो चुके है आबकारी विभाग को जब आदेश प्राप्त होंगे उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी