कोटद्वार: उत्तराखंड के कोटद्वार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा प्रस्तावित जिला कार्यालय का निर्माण अब अधर में लटक गया है। वजह है वह भूमि, जिस पर कार्यालय बनाए जाने की योजना थी, अब विवादित घोषित हो चुकी है। इस जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा ठोकते हुए प्रशासन से जांच की मांग की थी, जिसके चलते भाजपा को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं। सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने कोटद्वार में जिला कार्यालय स्थापित करने के उद्देश्य से एक भूखंड का क्रय किया था। इस भूमि की खरीद-फरोख्त कानूनी रूप से पूरी की गई थी और खरीददारी की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में पहुंच चुकी थी। लेकिन इसके कुछ ही समय बाद वक्फ बोर्ड ने उस जमीन पर अपनी मिल्कियत का दावा करते हुए विवाद खड़ा कर दिया। वक्फ बोर्ड ने यह मामला संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों के सामने उठाया और जांच के आदेश भी दिए गए। जांच की प्रक्रिया शुरू होते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। वहीं दूसरी ओर भाजपा के स्थानीय और क्षेत्रीय नेतृत्व के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई। सूत्र बताते हैं कि विवाद गहराने के साथ-साथ भाजपा ने इस मामले में फिलहाल पीछे हटने का निर्णय लिया है। पार्टी ने विवाद से बचने के लिए खरीदी गई रकम वापस ले ली है और कार्यालय निर्माण की योजना को रोक दिया है।चौंकाने वाली बात यह भी है कि जिस भूमि को भाजपा ने खरीदा था, उसे अब संबंधित विक्रेताओं ने कथित रूप से किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया है। यह घटनाक्रम न केवल भाजपा के लिए राजनीतिक असहजता का विषय बन गया है, बल्कि सिस्टम पर भी कई सवाल खड़े कर रहा है। यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि जब जमीन पर वक्फ बोर्ड का दावा था, तो उसे पहले ही विवाद मुक्त कैसे माना गया और बिक्री की अनुमति कैसे दी गई?
स्थानीय भाजपा नेताओं ने फिलहाल इस मामले में खुलकर कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स का कहना है कि जल्द ही पूरे मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेज का वक्फ की संपत्ति की जांच की मांग की जाएगी। जांच में जो भी संपत्ति वक्फ की होगी वो वक्फ निहित कराई जाएगी। वहीं उत्तरप्रदेश से भी वक्फ संपति से रिकॉर्ड मांगे जा रहे है रिकॉर्ड प्राप्त होने के बाद प्रदेश की समस्त वक्फ संपतियों परीक्षण कराया जाएगा। जिससे जमीनों को खुरबुर्द करने वालों पर भी कार्रवाई होगी।।इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट होता है कि भूमि विवादों के चलते राजनीतिक दलों को कई बार अपनी योजनाओं में बदलाव करने पड़ते हैं। साथ ही यह सवाल भी उठता है कि भूमि की खरीदी-बिक्री से पूर्व उसकी पूरी कानूनी स्थिति की पुष्टि क्यों नहीं की गई।
फिलहाल कोटद्वार में भाजपा का जिला कार्यालय किराए के भवन में चल रहा है आगे बीजेपी का खुद का कार्यालय बन पाएगा या नहीं, यह समय ही बताएगा, लेकिन मौजूदा स्थिति में यह अधर में जरूर नजर आ रहा है।
