देहरादून, राज्य में रेमेडिसिविर की कालाबाजारी रोकने के लिए भले ही शासन प्रशासन ने बड़ी बड़ी टीमों का गठन करते हुए कई लोगों पर कार्रवाई करने का काम किया है लेकिन सरकारी दफ्तरों से ही रेमेडिसिविर जीरो बैलेंस पर प्राइवेट अस्पतालों व मेडिकल स्टोर्स को सप्लाई किया जा रहा है, जिसके पीछे क्या राज है इसका पता लगाना बेहद जरूरी है। हालांकि प्रभारी सचिव पंकज पांडे ने इस मामले के परीक्षण कराने के बाद बात कही है दरअसल खुद शासन के अधिकारी निजी अस्पतालों व मेडिकल स्टोर संचालकों से उसी दाम पर लोगों को रेमेडिसिविर उपलब्ध कराने के लिए निर्देश दे रहा है जिस दाम पर सरकार के द्वारा उन लोगों को यह इंजेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।। लेकिन जब खुद ही अधिकारी उनको सप्लाई के दौरान जीरो बिलिंग करते हुए अपना भुगतान करवा रहे हैं तो भला निजी अस्पताल व मेडिकल स्टोर उसे किस जाम पर बेचेंगे यह बता पाना मुश्किल है।। इस तरहां के हालातों को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी गंभीरता के साथ कोविड के दौर में काम किया जा रहा है। हरिद्वार में लगातार इस तरहां की बिलिंग पर सवाल खड़े हो रहे है लेकिन आलाधिकारियों तक इस तरहां के मामलों का ना पहुँचना बताता है कि नोडल अधिकारियों की टीम कितनी मुस्तेदी से काम कर रही है।
