एक साल से ज्यादा बीत जाने के बाद आई लैब इन बैग की दवा(रिएजेंट) खरीदने की याद….. शासन सख्त जल्द बड़ी कार्रवाई की हो रही तैयारी…

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देहरादून, स्वास्थ्य विभाग में इन दिनों चर्चाओं का केंद्र बने लेब इन बैग मशीन महानिदेशालय के लिए गले की फांस ही बनती चली जा रही है। विभाग के अधिकारियों ने दिलचस्पी दिखाते हुए 9करोड़ों 46लाख रुपए की मशीनें तो खरीद ली लेकिन मशीन में लगने वाली दवा ( रिएजेंट ) लंबे समय तक नहीं खरीदी गई । अब सूत्रों की माने तो शासन की जांच और विभागीय अधिकारियों से तलब हो रही जानकारियां आला अधिकारियों को असहज करती हुई दिखाई दे रही है।। सूत्रों की माने तो अब स्वास्थ्य महानिदेशालय में लेब इन बैग में लगने वाली रिएजेंट खरीदे जाने को लेकर भी रास्ता निकालना शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने यूं तो दावा किया था कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जाएगा, जिसको देखते हुए करोड़ों की लागत के सफेद हाथीनुमा मशीनों को खरीदा गया, लेकिन इसमें लगने वाली दवा की खरीदारी में विभाग फेल ही साबित हुआ।। अब फजीहत हुई तो अधिकारियों को भी इसमें लगने वाली दवा की याद आ गई और आनन-फानन में बैठके भी शुरू कर दी गई हैं जिससे फजीहत से बचा जा सके। अब रिएजेंट खरीद कर जिलों में सप्लाई करने की तैयारी की जा रहीं है जबकि विभाग के सामने लोकल व्यक्ति से दवा सप्लाई का भी प्रावधान किया गया था । विभागीय दस्तावेज और लेब इन बैग सप्लाई करता के द्वारा लोकल व्यक्ति को भी इसमें व्यवस्था का हिस्सा बनाया गया था।।अत्यधिक महत्वकांक्षाओं के चलते संबंधित योजना लोगों के काम भले ही नही आ रही हो, लेकिन सिस्टम को चर्चाओं में लाने के काम जरूर आ रही है।। ऐसे में अब जांच की तरफ भी लोगों की नजरे है कि आखिरकार कब जांच को अंजाम तक पहुंचा कर ऐसे लोगों को चिन्हित किया जाता है जो मुलाजिम सरकारी धन को दोनों हाथों से लूटने का काम कर रहे हैं।।