सीएम धामी के सख्त आदेश के बाद नकल कांड में कार्रवाई, ग्राम्य विकास अभिकरण अधिकारी निलंबित…

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देहरादून, 25 सितम्बर।
उत्तराखण्ड में हाल ही में आयोजित हुई स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के दौरान नकल की असफल कोशिश का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती के बीच सरकार ने अब जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिरानी शुरू कर दी है। इस क्रम में हरिद्वार जिले में परीक्षा केंद्र पर तैनात जिला ग्राम विकास अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है।

मामला 21 सितम्बर को आयोजित स्नातक स्तरीय लिखित परीक्षा से जुड़ा है। आयोग की ओर से राज्यभर के विभिन्न जनपदों में परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। हरिद्वार जिले के आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज, बहादरपुर जट (केंद्र कोड-1302) में परीक्षा के दौरान एक अभ्यर्थी द्वारा प्रश्नपत्र के 12 सवाल मोबाइल से फोटो खींचकर बाहर भेजे जाने का खुलासा हुआ। हालांकि समय रहते नकल का यह प्रयास विफल कर दिया गया, लेकिन घटना ने परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए।

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आयोग ने शासन को भेजे पत्र में स्पष्ट लिखा कि परीक्षा केंद्रों पर निष्पक्षता और निगरानी के लिए जिम्मेदार अधिकारी मौजूद थे, बावजूद इसके लापरवाही बरती गई। प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि तैनात अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति संवेदनशील नहीं थे। यही वजह है कि विभिन्न संगठन परीक्षा की शुचिता पर सवाल उठाकर आंदोलनरत हैं।

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इसी आधार पर शासन ने कड़ा कदम उठाते हुए हरिद्वार के परियोजना निदेशक, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के.एन. तिवारी को निलंबित कर दिया है। वह परीक्षा केंद्र पर सेक्टर मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी निभा रहे थे, लेकिन पर्यवेक्षण में गंभीर चूक पाए जाने पर उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई। शासनादेश के मुताबिक निलंबन की अवधि में उन्हें वित्तीय नियमों के तहत जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा, साथ ही प्रतिकर भत्ते भी उन्हीं शर्तों पर देय होंगे जब यह प्रमाणित हो कि वे वास्तव में उस मद में खर्च कर रहे हैं।

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मुख्यमंत्री धामी ने इस कार्रवाई के जरिए साफ संदेश दिया है कि सरकार परीक्षा माफिया और नकल संस्कृति को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेगी। पहले गिरफ्तारियां और अब अधिकारियों पर निलंबन की कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दोषियों को किसी भी स्तर पर बख्शा नहीं जाएगा।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि मामले की गहन जांच जारी है और आने वाले दिनों में और भी जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई हो सकती है। परीक्षाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए सरकार “ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति पर काम कर रही है।