हाईकोर्ट ने आबकारी विभाग की ओर से राज्य में बियर की नौ ब्रांडों की बिक्री पर रोक लगाने व बियर विक्रेता का नाम राज्य पोर्टल से हटाने को प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध मानते हुए इस आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने विभाग को आदेश दिया है कि 24 घंटे में याचिकाकर्ता का नाम राज्य के पोर्टल में दर्ज किया जाए।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ने जून के पहले सप्ताह में एक आदेश जारी कर देवांश मॉडर्न ब्रेवरीज लिमिटेड की उत्तराखंड में बेची जा रही नौ बियर ब्रांडों की बिक्री पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इन ब्रांडों की बिक्री की अनुमति उत्तराखंड में नहीं है। याचिका में कहा गया कि आबकारी विभाग की ओर से बिना कोई नोटिस दिए इन ब्रांडों की बिक्री प्रतिबंधित कर दी गई और उनका नाम भी राज्य पोर्टल से हटा दिया गया। सुनवाई के दौरान आबकारी आयुक्त सुशील कुमार
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इन नौ ब्रांडों को उत्तराखंड में बेचने की अनुमति नहीं थी जिस वजह से अंतरिम रूप से बिक्री पर रोक लगाई गई थी। उन्होंने स्वीकार किया कि इन बियर ब्रांडों की बिक्री पर रोक लगाने से पूर्व विक्रेता को कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया था। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इसे प्राकृतिक न्याय के विपरीत मानते हुए इस आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। वही जानकारों की माने तो अधिकारियों के द्वारा बियर के ब्रांडों पर पॉलिसी का हवालााा देते हुए रोक लगाई गई थी लेकिन अब यह मामला सरकार की भी फजीहत कराता दिखाई दे रहा है। दरअसल राज्य की आबकारी नीति 29 जनवरी को केेेबिनेट में आने केेेे बाद तय हुई थी।। लेकिन दिल्ली में नए ब्रांडो के पंजीकरण पर 19 जनवरी को रोक लगाा दी गई थी ऐसे में नए ब्रांडो का पंजीकरण ना होने के बाद उत्तराखंड में 9 ब्रांडों की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी जिसकेे चलत दूसरे पक्ष नेे कोर्ट अपना पक्षष रखते हुए डिग्री पर लगी रोक को हटानेेे की मांग की थी।।