आबकारी विभाग की जांच हैं या बीरबल की खिचड़ी जो पूरी होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। 1 सप्ताह में आबकारी विभाग की समस्त जांच पूरी करने के निर्देश देने वाले अधिकारियों के आदेश भी हवा हवाई ही हो गए है। 7 नवम्बर को आबकारी मुख्यालय में विभागीय बैठक के दौरान 15 मामलों पर चल रही जांचों को पूरा करने के निर्देश देते हुए आयुक्त आबकारी सुशील कुमार ने कार्रवाई करने का दावा किया था लेकिन आज 2 माह बाद भी मुख्यालय के अधिकारियों के द्वारा मानो जैसे जांचे पूरी तक नहीं की गई है जिससे कि रिपोर्ट आबकारी आयुक्त तक पहुंच पाती। अपनी लचर कार्यप्रणाली के चलते आबकारी विभाग हमेशा से ही अपनी फजीहत कराता रहा है लेकिन अधिकारी ही है जो अपनी कार्य प्रणाली में सुधार करने के बजाय हीला हवाली पर ही विशेष ध्यान दे रहे हैं । आलम यह है कि आबकारी विभाग की जिम्मेदारी मिलने के बाद ही सचिव सचिन कुर्वे द्वारा ताबड़तोड़ बैठक की गई जिसमें अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए व्यवस्थाओं को सुधारने की बात भी की गई । सचिव की बैठकों को देखते हुए आबकारी आयुक्त ने भी मुख्यालय पहुंचकर कई बैठक की। जिसमें आदेश व निर्देश भी हुए लेकिन उन आदेशों को अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है जिसके चलते इस तरहां की बैठक बेनतीजा ही रह जाती हैं अधिकारियों की हालत भी आगे दौड़ पीछे छोड़ की हो गई है। जी हां अधिकारी बैठ कर के महज अपनी जिम्मेदारियों की इतिश्री मात्र ही कर रहे हैं । लेकिन उन बैठकों में लिए गए निर्णय पर मानो जैसे रिव्यू तक नहीं होता है जिसके कारण बैठ में हुए निर्णयों का कोई निष्कर्ष तक नही निकलता।मामले पर आबकारी आयुक्त सुशील कुमार की प्रतिक्रिया लेने लिए फोन किया गया तो उनके द्वारा फोन तक नही उठाया गया। जिसके चलते उनका पक्ष नही आ सका।