जिस दरबार में विभीषणों की फौज हो वहां राजा का बंटाधार होना तो तय है.. ऐसा ही उत्तराखंड के एक दरबार में चल रहा है जहां जाने अनजाने मुखिया के कुछ खास दरबारी विभीषण बने बैठे हैं। निशाने पर अपने ही संगी साथी है और मुखिया के करीब पहुंचने की प्रतिद्वंद्विता जारी है। जिससे मुखिया को ही असहज होना पड़ रहा है। प्रदेश में मुखिया के सामने आगामी निकाय चुनाव से लेकर उपचुनाव और तमाम दूसरी बड़ी चुनौतियां है, लेकिन इन विभीषणों को इससे क्या मतलब.. उसे तो आज ही मुखिया का सबसे बड़ा हितैषी बनना है। लेकिन मुखिया के भी एक नहीं कई आंख कान है, उसे भी समझ आ गया है कि यह विभीषण कौन है । उन्हे पता है कि अपने फायदे के लिए दरबार के ही साथी दरबारी को चोटिल करने की कोशिश कौन कर रहा है। दरअसल इन दिनों राज्य में चल रही मुखिया के नजदीक पहुंचने की होड़ बता रही है कि दरबार में एक से एक कोहिनूर उपलब्ध है जो छोटी-छोटी बातों को भी बड़ा तूल देकर सोशल मीडिया पर प्रचारित और प्रसारित करवा रहे हैं जिससे पूरा सिस्टम ही हाशिए पर आ जाता है।। दरबार के तमाम लोगों को भले ही इस बात की जानकारी है कि किसके द्वारा यह खेल खेला जा रहा है लेकिन खुलकर कोई भी कुछ कहने को तैयार नहीं है जिससे विभीषण राजा के सामने अभी भी पूरी तरह बेनकाब नही हो पाया है।।