देहरादून: खनन गतिविधियों पर निगरानी को सख्त करने और राजस्व को पारदर्शी बनाने की दिशा में उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। अब खनन क्षेत्रों में मानव रहित निगरानी तंत्र लागू किया जाएगा, जिससे बिना रॉयल्टी भुगतान किए गाड़ियों के संचालन पर स्वतः चालान जनरेट हो जाएगा। यह तकनीक खनन विभाग को उन वाहनों की पहचान करने में सक्षम बनाएगी, जो बिना अनुमति या रॉयल्टी के खनिजों का परिवहन कर रहे हैं।
खनन निदेशक राजपाल लेगा ने बताया कि इस प्रणाली को लागू करने की योजना तैयार की गई है। जिससे खनन क्षेत्रों में हाईटेक सेंसर, कैमरे और डिजिटल रिकॉर्डिंग उपकरण लगाए जाएंगे जो वाहन की नंबर प्लेट को स्कैन कर संबंधित जानकारी को तुरंत सिस्टम में अपडेट कर देंगे। यह तकनीक विभाग को पारदर्शिता, दक्षता और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद करेगी।
वहीं वर्तमान में वन निगम की नदियों में खनन कार्य की अनुमति केवल 31 मई तक है, जबकि खनन विभाग को 30 जून तक खनन करने की अनुमति है। इस कारण विभाग और कारोबारी वर्ग की ओर से मांग की जा रही है कि वन निगम को भी 30 जून तक खनन की अनुमति दी जाए, जिससे समय की असमानता समाप्त हो सके और खनन कार्यों में समन्वय बना रहे। खनन निदेशक राजपाल लेगा ने बताया कि भारत सरकार से वन निगम की नदियों में खनन अवधि बढ़ाने की अनुमति मांगी गई है। अगर यह अनुमति मिल जाती है, तो राज्य को खनिज राजस्व में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार तकनीकी और मौसमी कारणों से खनन कार्यों में देरी होती है, ऐसे में खनन समय की समानता जरूरी है, ताकि राजस्व में नुकसान न हो।
खनन विभाग का मानना है कि आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से न केवल अनियमितताओं पर रोक लगेगी, बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ेगी। इससे सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होगा और अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकेगा।
यह कदम न सिर्फ खनन क्षेत्र को अधिक संगठित और अनुशासित बनाएगा, बल्कि उत्तराखंड सरकार के “डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन” और “ई-गवर्नेंस” के प्रयासों को भी मजबूती प्रदान करेगा।
